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रविवार, 1 जुलाई 2018

जानिए सोशल मीडिया के हीरो विकास मिश्रा से जुड़ी कुछ खास बातें।


पासपोर्ट मामले में पहले जिस विकास मिश्रा को मीडिया ने खलनायक साबित करने में कोई कसर नहीं छोड़ी, सोशल मीडिया ने पूरे मामले की सच्चाई उजागर करके उन्ही विकास मिश्रा को हीरो बना दिया।

विकास मिश्रा को करीब से जानने वाले लोग अच्छी तरह जानते हैं कि उनका जीवन एक खुली किताब की तरह है। उनके वाट्सअप प्रोफाइल के साथ पंक्ति 'सरलता ही जीवन का आधार है' उन्होंने खुद लिखी और उसे अपने जीवन में आत्मसात किया।

आईएएस बनने का सपना था।
मेधावी छात्र रहे विकास मिश्रा का सपना आइएएस-आइपीएस बनने का था। उनके बैच के साथी इस मुकाम तक पहुंच भी गए, 

पिता की मौत ने बदली राह
लेकिन पिता की मौत के बाद चार वर्ष तक कभी पेंट बेचकर तो कभी और छोटे काम करके विकास मिश्रा ने अपने कॅरियर की दिशा तय की। उन्होंने 750 रुपये की स्कालरशिप से लखनऊ के काल्विन ताल्लुकेदार्स कॉलेज से हाईस्कूल व इंटर की पढ़ाई की। इसके बाद लखनऊ विश्वविद्यालय से गणित से बीएससी व एमएससी की। 

पिछले 25 सालों में बेदाग रहा हैं रिकॉर्ड
प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी कर ही रहे थे कि 1988 में पिता की मौत हो गई। चार वर्ष तक घर का खर्च चलाने के लिए छोटे-मोटे काम किए। 1992 में कस्टम व सेंट्रल एक्साइज में नौकरी मिल गई। यहां दस महीने काम करने के बाद विकास मिश्रा का कर्मचारी चयन आयोग की परीक्षा में सफलता के बाद पासपोर्ट विभाग में चयन हो गया। इन 25 वर्ष के दौरान पासपोर्ट ग्रांट करने की उनकी कार्यकुशलता विभाग ने भी मानी।

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