पृथ्वी राज चौहान का नाम तो आप सभी ने जरुर सुना होगा,जी हाँ वो ही पृथ्वी राज चौहान जिन्होंने 17 बार मुहमद गौरी को हराकर अपने राज्य की विदेशी आक्रमणकारियों से रक्षा की थी..लेकिन जब गौरी अठारवी बार जीत गया तो पृथ्वी राज चौहान को कैद करके अफगान ले गया...ये उसी महान हिन्दू शासक की समाधि हैं.
असल में पृथ्वीराज चौहान की समाधि अफगानिस्तान के गजनी शहर के बाहरी इलाके में मौजूद थी.. गोरी की मौत के 900 साल बाद भी अफगानिस्तानी और पाकिस्तानी उसे अपना ‘हीरो’ मानते हैं। ये लोग गोरी की मौत का बदला लेने के लिए अपना गुस्सा पृथ्वीराज की समाधि पर निकालते थे, पृथ्वीराज की समाधि के ऊपर एक लंबी मोटी रस्सी लटकी हुई थी. कंधे की ऊंचाई पर इस रस्सी में गांठ लगी हुई थी। स्थानीय लोग रस्सी की गांठ को एक हाथ में पकड़कर मजार के बीचोबीच अपने पैर से ठोकर मारते थी.
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अफगानिस्तान स्तिथ पृथ्वी राज चौहान की समाधि |
लेकिन भारत आने के बाद भी पृथ्वीराज चौहान को सम्मान दिलाने की उनकी ये इच्छा पूरी नहीं हो सकी,पृथ्वी राज चौहान की समाधि तो भारत में स्थापित कर दी गयी ..ये समाधी उत्तरप्रदेश के फतेहगढ़ कसबे के बेबर गाँव में स्तिथ हैं..लेकिन आज ये समाधि बद से बदतर हालत में हैं, ताजा हालात ये है की चौहान साहब की समाधि के चारो और मक्का की खेती हो रही है और उस मै पानी भरा होने के कारण समाधि तक पहुच पाना मुश्किल हैं.. जो ज़मीन पृथ्वी राज चौहान के लिये दान की थी उसपर कोल्ड स्टोर बना है !
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ये हैं समाधि की वर्तमान स्तिथि |
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