रानी पद्मिनी से जुडी फिल्म का मामला लगातार गरमाता ही जा रहा हैं, देश भर में हो रहे विरोध प्रदर्शनों ने एक नई बहस को जन्म दे दिया हैं.
कौन थी महारानी पद्मिनी?
रानी पद्मिनि के साहस और बलिदान की गौरवगाथा इतिहास में अमर है। सिंहल द्वीप के राजा गंधर्व सेन और रानी चंपावती की बेटी पद्मिनी चित्तौड़ के राजा रतनसिंह के साथ ब्याही गई थी।
चित्तौड़गढ़ किले का जौहर कुंड तक जहां जाना तो दूर, कोई इसके बारे में सोच भी नहीं पाता। क्योकि जौहर कुंड को हॉंटेड यानी यहां पर नकारात्मक शक्तियों का वास माना जाता है। इसके पीछे एक बड़ी कहानी है जो प्यार, दुश्मनी और एक बड़े बलिदान के बारे में बताती है।सालभर चित्तौड़गढ़ किले को देखने के लिए दूर-दूर से लोग आते हैं। किले के एक-एक भाग को बारीकी से देखने और समझने के लिए पर्यटकों की भीड़ लगी रहती है। लेकिन इसी किले का एक हिस्सा ऐसा है, जहां जाने की कोई हिम्मत नहीं करता।
कौन थी महारानी पद्मिनी?
रानी पद्मिनि के साहस और बलिदान की गौरवगाथा इतिहास में अमर है। सिंहल द्वीप के राजा गंधर्व सेन और रानी चंपावती की बेटी पद्मिनी चित्तौड़ के राजा रतनसिंह के साथ ब्याही गई थी।
आज ऐसा दिखता हैं जौहर स्थल
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