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शुक्रवार, 17 जून 2016

मौत की सजा के बाद जज क्यों तोड़ देते हैं पेन की निब...


जब किसी को फांसी की सजा सुनाई जाती है, तो जज फैसला सुनाने के बाद उस पेन की निब तुरंत तोड़ देते हैं, लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि आखिर जज ऐसा क्यों करते हैं, हम आपको बताते है आखिर जज ऐसा क्यों करते हैं। हम आपको बताते हैं कि आखिर क्यों मौत की सजा सुनाने के बाद पेन की निब तोड़ दी जाती है।




 ऐसा ब्रिटिश काल से चला आ रहा है जिसको भारत आज भी फॉलो कर रहा हैं। हम सभी सेचते है कि आखिर इसके पीछे की वजह क्‍या हैं। दरअसल ऐसा करने की कई वजह है जिसको हम आज आपको बताएंगे।


मौत की सजा सुनाने के बाद जज द्वारा कलम तोड़ने के पीछे एक नहीं बल्‍कि कई वजह हैं। निब तोड़ना एक सिम्‍बॉलिक कार्य है। इससे ये दर्शाया जाता है कि जिस कलम का इस्‍तेमाल करके व्‍यक्‍ति से जीने का हक छीन लिया गया हो वो कलम का इस्‍तेमाल दोबारा ना हो। किसी अपराधी को मौत की सजा बहुत ही ज्‍यादा संगीन कार्य के लिए दी जाती हैं और तब ही दी जाती है जब कोई दूसरा विकल्‍प ना बचा हो।



जज निर्णय के समय इस्‍तेमाल किए गए पेन की निब इसलिए भी तोड़ते है क्‍योंकि ऐसा कर के वो अपने आप को इस अपराध से मुक्‍त करते है कि उन्‍होंने किसी की जिंदगी को खत्‍म कर दिया। ये एक रिवाज है जो वो फॉलो करते हैं।

एक जज के पास किसी भी तरीके का पॉवर नहीं होता की उसके द्वारा लिखा और हस्‍ताक्षर किया हुआ निर्णय वो रद्द कर सके। ये निब इसलिए भी तोड़ दी जाती है ताकि एक बार निर्णय देने के बाद जज अपने फैसले पर दोबारा विचार ना करे।

एक पुरानी कहावत कही गई है कि मौत की सजा बहुत ही दुखद सजा होती है, पर कभी-कभी इसे देना जरूरी हो जाता है और कलम की नोक तोड़कर इस दुख को व्‍यक्‍त किया जाता है।

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