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बुधवार, 1 जून 2016

अंग्रेजो ने अनेक चर्च बनाये लेकिन एक ऐसा मंदिर जिसका जीर्णोद्धार एक अंग्रेज ने करवाया..



मध्यप्रदेश के आगर मालवा नगर में श्रीबैजनाथ महादेव का एक ऎसा ऎतिहासिक मंदिर हैं जिसका जीर्णोद्धार तत्कालीन अंग्रेज सेना के एक अधिकारी ने करवाया था।


प्रदेश के नवगठित एवं 51 वे जिले के रूप में गत वर्ष अस्तित्व में आए आगर मालवा के इतिहास में उल्लेख है कि बैजनाथ महादेव के मंदिर का जीर्णोद्धार कर्नल मार्टिन ने वर्ष 1883 में 15 हजार रूपये का चंदा कर करवाया था। इस बात का शिलालेख भी मंदिर के अग्रभाग में लगा है। उत्तर एवं दक्षिण भारतीय कलात्मक शिल्प में निर्मित श्रीबैजनाथ महादेव को चमत्कारी देव माना जाता है। इसका ज्वलंत उदाहरण उस समय दिखाई दिया जब अफगानिस्तान में 130 वर्ष पहले पठानी सेना से घिरे कर्नल मार्टिन की प्राणरक्षा भगवान शिव ने की और वे सही सलामत घर लौटे।
जानिये क्या हैं पूरी कहानी :-
आगरमालवा की उत्तर दिशा में जयपुर मार्ग पर बाणगंगा नदी के किनारे स्थापित श्रीबैजनाथ महादेव का यह ऎतिहासिक मंदिर लिंग राजा नलकालीन माना जाता है। पहले यह मंदिर एक मठ के रूप में था तथा तांत्रिक अघौरी यहां पूजापाठ करते थे।

इतिहास में वर्णित है कि वर्ष 1879 में अंग्रेजों ने अफगानिस्तान पर आक्रमण कर दिया था। इस युद्ध का संचालन आगरमालवा की ब्रिट्रिश छावनी के लेफ्टिनेंट क र्नल मार्टिन को सौंपा गया था। मार्टिन युद्ध एवं स्वयं की कुशलता के समाचार आगर मालवा में छोड कर गए अपनी पत्नी को नियमित भेजते थे। इस दौरान एक वक्त ऎसा भी आया जब मार्टिन के संदेश आना बंद हो गए। उनकी पत्नी को अनेक शंकाएं सताने लगी। वह एक दिन घोडे पर बैठ कर आगरमालवा में घूमने गई तो श्री बैजनाथ महादेव मंदिर से आती शंखध्वनि और मंत्रों से आकर्षित हो मंदिर पहुंची। वहां मंदिर में पूजा पाठ कर रहे पंडितों से चर्चा की एवं शिव पूजन के महत्व के बारे में पूछताछ की। पुजारी ने कहा भगवान शिव औघरदानी और भोलेभंडारी हैं। अपने भक्तों के संकट वह तुरंत ही दूर करते हैं। पुजारी ने लेडी मार्टिन से पूछा बेटी तुम बडी चिंतातुर लग रही हो क्या कारण है। लेडी मार्टिन बोली मेरे पति युद्ध में गए हैं और कई दिनों से उनका कोई समाचार नहीं आया इसलिए चिंतित हूं, इतना कहते हुये लेडी मार्टिन रो पडी।
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फिर ब्राहमणों के कहने पर श्रीमती मार्टिन ने लघु रूद्रीअनुष्ठान आरंभ करवाया तथा भगवान शिव से अपने पति की रक्षा के लिये प्रार्थना करने लगी और संकल्प लिया कि उनके पति युद्ध जीतकर आ जाए तो वह मंदिर पर शिखर बनवायेगी। लघुरूद्री की पूर्णाहुति के दिन भागता हुआ एक संदेशवाहक शिवमंदिर पहुंचा। लेडी मार्टिन ने घबराते हुए लिफाफा खोला और पढने लगी। पत्र में उनके पति ने लिखा, “हम युद्धरत थे तुम्हारे पास खबर भी भेजते रहते थे लेकिन अचानक हमें पठानी सेना ने घेर लिया। ब्रिटिश सेना के सैनिक मरने लगे ऎसी विषम परिस्थिति से हम घिर गए और जान बचाकर भागना मुश्किल हो गया। इतने में देखा कि युद्ध भूमि में कोई एक योगी जिनकी लम्बी जटाएं एवं हाथ में तीन नोंक वाला हथियार (त्रिशूल) लिए पहुंचे। उन्हें देखते ही पठान सैनिक भागने लगे और हमारी हार की घंडियां एकाएक जीत में बदल गई।





पत्र में लिखा था यह सब उन त्रिशूलधारी योगी के कारण ही संभव हुआ। फिर उन्होने कहा घबराओं नहीं मैं भगवान शिव हूं तथा तुम्हारी पत्नी द्वारा शिवपूजन से प्रसन्न होकर तुम्हारी रक्षा करने आया हूं। पत्र पढते हुए लेडी मार्टिन ने भगवान शिव की प्रतिमा के सम्मुख सिर रखकर प्रार्थना करते हुए भगवान का शुक्रिया अदा किया और उनकी आंखों से खुशी के आंसू छलक पडे। कुछ दिनों बाद जब कर्नल मार्टिन आगर मालवा ब्रिटिश छावनी लौटकर आए और पत्नी को सारी बातें विस्तार से बताई और अपनी पत्नी के संकल्प पर कर्नल मार्टिन ने सन 1883 में पन्द्रह हजार रूपये का सार्वजनिक चंदा कर श्रीबैजनाथ महादेव के मंदिर का जीर्णोद्धार करवाया। 
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