पाकिस्तान में होने जा रहे आम चुनाव में एक और हिंदू महिला सुनीता परमार मैदान में उतरी हैं। 31 वर्षीय सुनीता ने दक्षिणी सिंध प्रांत के थारपाकर जिले (पीएस56 संसदीय क्षेत्र इस्लामकोट) से निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर पर्चा भरा है।
सुनीता ने अपने घोषणा पत्र में हिंदू अल्पसंख्यकों के अधिकारों के साथ-साथ महिलाओं की सुरक्षा और शिक्षा जैसे मुद्दे भी उठाए हैं।
सुनीता का कहना है कि यह जोखिम भरा फैसला है, लेकिन वह रूढ़िवादी प्रक्रिया को चुनौती देना चाहती हैं। सुनीता से पहले हिंदू दलित महिला कृष्णा कुमारी कोली सिंध प्रांत से सांसद बन चुकी हैं।
सुनीता के मुताबिक, शरीफ सरकार ने उनके इलाके में लोगों के लिए कुछ भी नहीं किया। 21वीं सदी में पहुंचने के बाद भी उनके इलाके में पर्याप्त स्वास्थ्य सुविधाएं नहीं हैं।
सुनीता के मुताबिक, शरीफ सरकार ने उनके इलाके में लोगों के लिए कुछ भी नहीं किया। 21वीं सदी में पहुंचने के बाद भी उनके इलाके में पर्याप्त स्वास्थ्य सुविधाएं नहीं हैं।
महिलाओं की बेहतर शिक्षा के लिए अच्छे संस्थान भी नहीं हैं। सुनीता कहती हैं कि वह लड़कियों को पढ़ाने में विश्वास रखती हैं। महिलाओं को मजबूत और आत्मनिर्भर बनाने के लिए उनका साक्षर होना एकमात्र रास्ता है।
हिन्दुओ की हैं अच्छी खासी आबादी।
2017 की जनगणना के मुताबिक, थारपाकर इलाके में 16 लाख लोग रहते हैं। इनमें 6 लाख हिंदू हैं। इसलिए वे ही ये तय करते हैं कि कौन जीतेगा? सुनीता ने बताया- "चुनाव न लड़ने के लिए मुझ पर काफी दबाव बनाया गया, लेकिन मैं डटी रही। मुझे विश्वास है कि मेरी ही जीत होगी।"
2017 की जनगणना के मुताबिक, थारपाकर इलाके में 16 लाख लोग रहते हैं। इनमें 6 लाख हिंदू हैं। इसलिए वे ही ये तय करते हैं कि कौन जीतेगा? सुनीता ने बताया- "चुनाव न लड़ने के लिए मुझ पर काफी दबाव बनाया गया, लेकिन मैं डटी रही। मुझे विश्वास है कि मेरी ही जीत होगी।"
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें