चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग की नेपाल यात्रा रद्द हुई |
दरअसल भारत और नेपाल के बीच संबंधो में पिछले कुछ महीनो से भारी उतार चढ़ाव रहा हैं.कई कारणों की वजह से भारत और नेपाल में कटु संबंध रहे हैं.जानकारों की माने तो चीन इसी कटुता का फायदा उठाकर पाकिस्तान की तरह नेपाल को भी भारत के खिलाफ इस्तेमाल करना चाहता था लेकिन उसकी इस चाल पर अब पानी फिर गया हैं.
नेपाल के पूर्व प्रधानमंत्री केपी ओली को चीन समर्थक कहा जाता है। केपी ओली ने कुछ ऐसे व्यापार सौदे किए जिससे नेपाल की भारत पर निर्भरता कम हो सके.
लेकिन प्रचंड को नेपाल के नये प्रधानमन्त्री नियुक्त होने के बाद से भारत और नेपाल के बीच संबंधो में सुधार की उम्मीद होने लगी थी, वहीँ अपने भारत दौरे से पहले नेपाल के प्रधानमंत्री प्रचंड ने कहा है कि, "भारत के साथ नेपाल के संबंध कुछ समय के लिए ठंडे पड़ गए थे। मै संबंधों में आई कड़वाहट को दूर करना चाहता हूं।"
इससे साफ़ हो चला हैं की नेपाल अब किसी भी कीमत पर चीन को भारत का अहित नहीं करने देगा,वेसे भी चीन को ये बात बहुत पहले ही समझ लेनी चाहिए थी की नेपाल और भारत दोनों ही हिन्दू बहुल देश हैं ऐसे में नेपाल चीन के लिए कभी उस तरह से इस्तेमाल में नहीं आएगा जेसे वो पाकिस्तान को इस्तेमाल कर रहा हैं.
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