यह बात आज इसलिए चर्चा में आई है, क्योंकि अमेरिकी विदेश मंत्रालय को लगता है कि भारत वास्तव में प्रगति नहीं कर रहा है, उसकी यह ग्रोथ बढ़ा-चढ़ाकर बताई गई है। रिपोर्ट कितनी वास्तविक है, वह इसमें कही गई बातों से समझा जा सकता है। रिपोर्ट में भारतीय सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के आंकड़ों पर संदेह जताते हुए कहा गया है कि नरेंद्र मोदी सरकार आर्थिक सुधारों के अपने वादों को पूरा करने की दिशा में धीमी रही है।
दरअसल, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तेज रफ्तार के पहले ही विश्व के कई देश मुरीद बन चुके हैं, यहां तक कि अमेरिका में भी भारतीय प्रधानमंत्री के प्रति श्रद्धा, प्रेम और विश्वास रखने वालों की संख्या कहीं ज्यादा है। इन वर्तमान उभरी परिस्थितियों को देखकर लगता है कि अमेरिका भी उन सभी पूर्व की गई भविष्यवाणियों से डरने लगा है, जो भारत को 21 वीं सदी में दुनिया का शक्तिसम्पन्न समृद्ध राष्ट्र बन जाने की घोषणा करती हैं। नहीं तो भला क्या कारण हो सकता है कि अमेरिका जैसा दुनिया का सबसे ताकतवर देश भारत की विकास दर को झूठा बताने के प्रयत्न करे।
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