बात उन दिनों की है जब भामाशाह की सहायता सेराणा प्रताप पुनः सेना एकत्र करके मुगलों के छक्के छुड़ाते हुए डूंगरपुर, बाँसवाड़ा आदि स्थानों पर अपना अधिकार जमाते जा रहे थे।एक दिन राणा प्रताप अस्वस्थ थे, उन्हें तेज ज्वर था और युद्ध का नेतृत्व उनके सुपुत्र कुँवर अमर सिंह कर रहे थे।
उनकी मुठभेड़ अब्दुर्रहीम खानखाना की सेना से हुई। खानखाना और उनकी सेनाजान बचाकर भाग खड़ी हुई।अमर सिंह ने बचे हुए सैनिकों तथा खानखाना परिवार की महिलाओं को वहीं कैद कर लिया।
जब यह समाचार महाराणा को मिला तो वे बहुत क्रुद्ध हुए और बोलेः "किसी स्त्री पर राजपूत हाथ उठाये, यह मैं सहन नहीं कर सकता। यह हमारे लिए डूब मरने की बात है।" वे तेज ज्वर में ही युद्ध-भूमि के उस स्थान पर पहुँच गये जहाँ खानखाना परिवार की महिलाएँ कैद थीं।
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राणा प्रताप खानखाना के बेगम से विनीत स्वर में बोलेः "खानखाना मेरे बड़े भाई हैं। उनके रिश्तेसे आप मेरी भाभी हैं। यद्यपि यह मस्तक आज तक किसी व्यक्ति के सामने नहीं झुका, परंतु मेरे पुत्र अमरसिंह ने आप लोगों को जो कैद कर लिया औरउसके इस व्यवहार से आपको जो कष्ट हुआ उसके लिए मैं माफी चाहता हूँ और आपलोगों को ससम्मान मुगल छावनी में पहुँचाने का वचन देता हूँ।" महाराणा जी ने अपने सैनिको को सभी महिलाओं को सुरक्षित उनके कैंप तक छोड़ने का आदेश दिया.
उधर हताश-निराश खानखाना जब अकबर के पासपहुँचा तो अकबर ने व्यंग्यभरी वाणी से उसका स्वागत
उनकी मुठभेड़ अब्दुर्रहीम खानखाना की सेना से हुई। खानखाना और उनकी सेनाजान बचाकर भाग खड़ी हुई।अमर सिंह ने बचे हुए सैनिकों तथा खानखाना परिवार की महिलाओं को वहीं कैद कर लिया।
जब यह समाचार महाराणा को मिला तो वे बहुत क्रुद्ध हुए और बोलेः "किसी स्त्री पर राजपूत हाथ उठाये, यह मैं सहन नहीं कर सकता। यह हमारे लिए डूब मरने की बात है।" वे तेज ज्वर में ही युद्ध-भूमि के उस स्थान पर पहुँच गये जहाँ खानखाना परिवार की महिलाएँ कैद थीं।
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राणा प्रताप खानखाना के बेगम से विनीत स्वर में बोलेः "खानखाना मेरे बड़े भाई हैं। उनके रिश्तेसे आप मेरी भाभी हैं। यद्यपि यह मस्तक आज तक किसी व्यक्ति के सामने नहीं झुका, परंतु मेरे पुत्र अमरसिंह ने आप लोगों को जो कैद कर लिया औरउसके इस व्यवहार से आपको जो कष्ट हुआ उसके लिए मैं माफी चाहता हूँ और आपलोगों को ससम्मान मुगल छावनी में पहुँचाने का वचन देता हूँ।" महाराणा जी ने अपने सैनिको को सभी महिलाओं को सुरक्षित उनके कैंप तक छोड़ने का आदेश दिया.
उधर हताश-निराश खानखाना जब अकबर के पासपहुँचा तो अकबर ने व्यंग्यभरी वाणी से उसका स्वागत
कियाः "जनानखाने की युद्ध-भूमि में छोड़कर तुम लोग जान बचाकर यहाँ तक कुशलता से पहुँच गये?" खानखाना मस्तक नीचा करके बोलेः"जहाँपनाह! आप चाहे जितना शर्मिन्दा कर लें, परंतु राणा प्रताप के रहते वहाँ महिलाओं को कोई खतरा नहीं है।"तब तक खानखाना परिवार की महिलाएँ कुशलतापूर्वक वहाँ पहुँच
गयीं।
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यह दृश्य देख अकबर गंभीर स्वर में खानखाना से कहने लगाः "राणा प्रताप ने तुम्हारे परिवार की बेगमों को यों ससम्मान पहुँचाकर तुम्हारी ही नहीं, पूरे मुगल खानदान की इज्जत को सम्मान दिया है। राणा प्रताप की महानता के आगे मेरा मस्तक झुका जा रहा है। राणा प्रताप जैसे उदार योद्धा को कोई गुलाम नहीं बना सकता।"
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यह दृश्य देख अकबर गंभीर स्वर में खानखाना से कहने लगाः "राणा प्रताप ने तुम्हारे परिवार की बेगमों को यों ससम्मान पहुँचाकर तुम्हारी ही नहीं, पूरे मुगल खानदान की इज्जत को सम्मान दिया है। राणा प्रताप की महानता के आगे मेरा मस्तक झुका जा रहा है। राणा प्रताप जैसे उदार योद्धा को कोई गुलाम नहीं बना सकता।"
इतना ही नहीं,इसके बाद से खानखाना ने कभी महाराणा प्रताप के खिलाफ अकबर के किसी भी अभियान में हिस्सा नहीं लिया.
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