यूपी के राजनीति का विश्लेषण किया जाए तो एक बात जरूर सामने आती हैं कि समाजवादी पार्टी के पास यादव और मुस्लिम का ठोस वोट बैंक है। जबकि बसपा का दलित वोटबैंक अकेले सब पर भारी पड़ता है। इसके साथ छिटपुट सवर्ण सहित अन्य पिछड़ी-अति पिछड़ी जातियों के लोग जुट जाने से बसपा दमदार लड़ाई लड़ती है। भाजपा का सवर्ण वोट बैंक भी अब बिखर चुका है।
पिछले 14 साल से यूपी की सत्ता से हुए वनवास को खत्म करने में पार्टी के खिलाफ प्रदेश का यही जातीय समीकरण विलेन बना हुआ है। ऐसे में यूपी में सिर्फ योगी आदित्यनाथ के पास ही पार्टी के हिंदुत्व कार्ड को चमकाने की क्षमता है।
जिससे पैदा हुई लहर से वे सपा-बसपा के पक्ष में बने जातीय समीकरण को मात दे सकते हैं। योगी धार्मिक आधार पर जातियों की सीमा तोड़कर हिंदू वोट अपने पाले में कर सकते हैं। इन्हीं सब वजहों से योगी की बतौर सीएम मजबूत दावेदारी है।
उनके सीएम बनने से हिंदुत्व लहर से भाजपा को भले फायदा हो जाए मगर अब तक भाजपा को कुछ मिल रहे मुस्लिम वोट से हाथ भी धोना पड़ सकता है। लेकिन एक सच ये भी हैं की भाजपा को मुस्लिम वोट मिलता ही कितना है।
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