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रविवार, 29 मई 2016

12th में आये 91%, फिर भी डॉक्टर नहीं बन पाएगी ये लड़की !


ये दास्ताँ हैं पाकिस्तान से आई एक हिन्दू लड़की की,पाकिस्तान में हो रहे धार्मिक भेदभाव से तंग आकर ये लड़की अपने माता पिता के साथ भारत में आ बसी लेकिन फिर भी  इनके ऊपर लगा हुआ `पाकिस्तानी' होने का धब्बा अभी तक नहीं धुल पाया हैं. मशाल(परिवर्तित नाम) के माता पिता दोनों पेशे से डॉक्टर हैं,पाकिस्तान में लाखो कमा लेते थे,लेकिन कट्टरपंथियों से परेशान होकर उनको भारत की तरफ रुख करना पड़ा.

पहले स्कूल में दाखिले को लेकर परेशानियो का सामना करना पड़ा ,किसी जानकार की मदद से स्कूल में दाखिला मिल भी गया तो अब भाषा और नए माहौल को लेकर परेशानियो का सामना करना पड़ा,लेकिन फिर भी तमाम परेशानियाँ होने के बावजूद मेहनत करके बारहवी में 91 प्रतिशत ले आई.अब दिक्कत हैं की आगे की पढ़ाई के लिए कॉलेज में दाखिले की.

मशालअब mbbs में दाखिले के परीक्षाएं नही दे सकती क्यूंकि उसमे केवल दो ही आप्शन आते हैं पहला भारतीय और दूसरा NRI,मशाल इन दोनों से किसी का चयन नहीं कर सकती इसलिए अब आगे की पढ़ाई करना लगभग असंभव हैं.

भारत सरकार पाकिस्तानी हिन्दुओ को भारत तो बुला रही हैं लेकिन उनको यहाँ भी ,पाकिस्तान से आये हुए हिन्दू' का ही दर्जा मिल पाता हैं..मशाल जेसे ना जाने कितने ही पाकिस्तान में सताए हुए हिन्दू बच्चे आज भारत में भी दोयम दर्जे के शहरी बनकर जीने को मजबूर हैं.

फिलहाल ये परिवार लंबी अवधि के वीज़ा पर जयपुर में रह रहा हैं.पहचान उजागर ना हो इसलिए ऊपर दी गयी तस्वीर को धुंधला कर दिया गया हैं...

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