
भारत और अमेरिका में हाल ही में हुए ‘लॉजिस्टिक्स एक्सचेंज मेमोरेंडम ऑफ एग्रीमेंट’ को लेकर चीनी मीडिया की बौखलाहट खुलकर सामने आ रही हैं..चीनी मीडिया इसे `चीन पर दबाब बनाने की रणनीति करार दे रहा हैं.
चीनी अखबार ग्लोबल टाइम्स ने लिखा है कि बेशक यह भारत-अमेरिका सैनिक समझौते में बढ़ी छलांग है लेकिन इससे भारत अमेरिका का पिछलग्गू बनकर रह जाएगा। अमेरिका जानबूझकर ऐसे कदम उठा रहा है ताकि चीन पर दबाव बनाया जा सके।
संपादकीय में कहा गया, अगर भारत अमेरिकी गठबंधन के तंत्र में जल्दबाजी में शामिल हो जाता है तो इससे चीन, पाकिस्तान और यहां तक कि रूस भी नाराज हो सकता है। यह शायद भारत को सुरक्षित महसूस कराने के बजाय उसके लिए रणनीतिक मुश्किलें ले आएगा और यह उसे एशिया में भूराजनीतिक शत्रुताओं के केंद्र में ला सकता है।
बता दें कि ‘लॉजिस्टिक्स एक्सचेंज मेमोरेंडम ऑफ एग्रीमेंट’ (एलईएमओए) ईंधन भरने और साजो सामान को जुटाने के लिए भारत और अमेरिका को एक दूसरे के सैन्य प्रतिष्ठानों तक पहुंच उपलब्ध करवाता है।
संपादकीय में कहा गया, अगर भारत अमेरिकी गठबंधन के तंत्र में जल्दबाजी में शामिल हो जाता है तो इससे चीन, पाकिस्तान और यहां तक कि रूस भी नाराज हो सकता है। यह शायद भारत को सुरक्षित महसूस कराने के बजाय उसके लिए रणनीतिक मुश्किलें ले आएगा और यह उसे एशिया में भूराजनीतिक शत्रुताओं के केंद्र में ला सकता है।
बता दें कि ‘लॉजिस्टिक्स एक्सचेंज मेमोरेंडम ऑफ एग्रीमेंट’ (एलईएमओए) ईंधन भरने और साजो सामान को जुटाने के लिए भारत और अमेरिका को एक दूसरे के सैन्य प्रतिष्ठानों तक पहुंच उपलब्ध करवाता है।
वहीँ अमेरिकी मीडिया ने की सराहना
वहीं अमेरिकी मीडिया ने इस समझौते की बहुत सराहना की है। फॉर्ब्स ने इसे ‘युद्ध समझौता’ बताया है और वह यह मान रहा है कि भारत शीत युद्ध के अपने सहयोगी रूस से दूर होकर अमेरिका के साथ एक नए गठबंधन की दिशा में बढ़ रहा है।
वहीं अमेरिकी मीडिया ने इस समझौते की बहुत सराहना की है। फॉर्ब्स ने इसे ‘युद्ध समझौता’ बताया है और वह यह मान रहा है कि भारत शीत युद्ध के अपने सहयोगी रूस से दूर होकर अमेरिका के साथ एक नए गठबंधन की दिशा में बढ़ रहा है।
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