
इसलिए कहा जाता हैं मुंडेश्वरी मंदिर
इसे बिहार धार्मिक न्यास बोर्ड द्वारा फिर से व्यवस्थित किया गया है। लोगों की मान्यता है कि चंड-मुंड नाम के असुरों का नाश करने के लिए, जब देवी प्रकट हुई तो चंड के मारे जाने के बाद युद्ध करते-करते मुंड इसी पहाड़ी में आकर छिप गया था। यहीं पर देवी ने उसका वध किया था। इसी वजह से इसे मुंडेश्वरी माता का मंदिर कहा जाता है। पहाड़ी पर जगह-जगह बिखरे पत्थरों में सिद्धयंत्र और श्लोक खुदे हुए हैं। गर्भगृह का ढांचा अष्टाकार है। एक कोने में देवी मुंडेश्वरी जबकि बीच में चतुर्मुखी शिवलिंग है। अनुमान लगाया जाता है कि जब ये अपनी पूर्वअवस्था में रहा होगा, तब देवी के चारों ओर अलग-अलग देवताओं की मूर्तियां स्थापित रही होंगी। यहां की कई खंडित मूर्तियां पटना के संग्रहालय में भी रखी गई हैं।
श्रीलंका से भी आते थे श्रद्धालु
यहां दर्शन के लिए श्रीलंका से भी श्रद्धालु आते थे। इस बात का प्रमाण मंदिर के रास्तों में पाए गए सिक्के हैं। सिक्कों और यहां पहाड़ी के पत्थरों पर तमिल और सिंहली भाषा में अक्षर लिखे हुए हैं। पहाड़ी पर एक गुफा भी है। हालांकि, इसे सुरक्षा की वजह से बंद कर दिया गया है।
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