
योगी आदित्यनाथ पर जानलेवा हमला होने के बाद भी योगी ना रुके न कभी झुके।
7 सितंबर 2008 को योगी आदित्यनाथ पर आजमगढ़ में जानलेवा हमला हुआ था। इस हमले में सौ से अधिक वाहनों को हमलावरों ने घेर लिया और लोगों को लहुलुहान कर दिया। योगी को गोरखपुर दंगों के दौरान गिरफ्तार भी किया गया। मोहर्रम के दौरान फायरिंग में एक हिन्दू युवा की जान चली गई थी पर अधिकारियों ने उन्हें जानकारी दी कि वह बुरी तरह जख्मी है और उन्हें वहां जाने से मना कर दिया।
ज़िद पर अड़े योगी योगी ने अगले दिन शहर में श्रद्धांजलि सभा का आयोजन करने की घोषणा की और जब जिलाधिकारी ने इसकी अनुमति नहीं दी तो हजारों समर्थकों के साथ उन्होनें अपनी गिरफ्तारी दी।
इसलिए हुआ था हमला
हुआ यूं कि आजमगढ़ में गत 16 अगस्त को अमदाबाद विस्फोटों के प्रमुख सूत्रधार अबू बशीर की गिरफ्तारी के बाद आजमगढ़ स्थित उसके घर पर सहानुभूति जताने के लिए इमाम बुखारी समेत तमाम सेकुलर नेताओं की भीड़ जमा होने लगी थी।
जिहादी तत्वों को शह दिए जाने की इस कोशिश के विरुद्ध योगी आदित्यनाथ ने आजमगढ़ में ही आतंकवाद विरोधी सभा करने की घोषणा की। इसी कारण उन पर जानलेवा हमला किया गया। प्रशासन को इसकी पूर्व सूचना थी।
भरी दोपहर में हुआ था हमला
सभा का आयोजन दोपहर डेढ़ बजे के लगभग किया गया था, इसमें भाग लेने के लिए योगी आदित्यनाथ का काफिला लगभग 1.20 बजे दोपहर को जैसे ही नगर के समुदाय विशेष बहुलता वाले तकिया मुहल्ले से गुजरने लगा, उस पर र्इंट-पत्थर और गोलियां बरसने लगीं। काफिले के आगे पुलिस उपाधीक्षक और उपजिलाधिकारी की गाड़ियां पुलिस बल के साथ थीं तो पीछे पीएसी के जवान सुरक्षा में लगाए गए थे। करीब 100 से ज्यादा गाड़ियों के काफिले में दंगाई तत्व योगी आदित्यनाथ के वाहन की पहचान नहीं कर पाए और दनादन गाड़ियों को निकलता देख अचानक ही काफिले पर चारों ओर से धावा बोल दिया गया। काफिले में पीछे की गाड़ियों को रोककर उन पर सवार कार्यकर्ताओं को दंगाइयों ने लहूलुहान कर दिया। इस हमले में प्रख्यात गोभक्त मुन्नर यादव गंभीर रूप से घायल हो गये। कुछ पत्रकार-छायाकारों ने उन्हें जान पर खेलकर बचाया। उल्लेखनीय है कि मुन्नर यादव के भाई सुन्नर यादव की कुछ वर्ष पहले ही दंगाईयों ने हत्या कर दी थी।
सभा का आयोजन दोपहर डेढ़ बजे के लगभग किया गया था, इसमें भाग लेने के लिए योगी आदित्यनाथ का काफिला लगभग 1.20 बजे दोपहर को जैसे ही नगर के समुदाय विशेष बहुलता वाले तकिया मुहल्ले से गुजरने लगा, उस पर र्इंट-पत्थर और गोलियां बरसने लगीं। काफिले के आगे पुलिस उपाधीक्षक और उपजिलाधिकारी की गाड़ियां पुलिस बल के साथ थीं तो पीछे पीएसी के जवान सुरक्षा में लगाए गए थे। करीब 100 से ज्यादा गाड़ियों के काफिले में दंगाई तत्व योगी आदित्यनाथ के वाहन की पहचान नहीं कर पाए और दनादन गाड़ियों को निकलता देख अचानक ही काफिले पर चारों ओर से धावा बोल दिया गया। काफिले में पीछे की गाड़ियों को रोककर उन पर सवार कार्यकर्ताओं को दंगाइयों ने लहूलुहान कर दिया। इस हमले में प्रख्यात गोभक्त मुन्नर यादव गंभीर रूप से घायल हो गये। कुछ पत्रकार-छायाकारों ने उन्हें जान पर खेलकर बचाया। उल्लेखनीय है कि मुन्नर यादव के भाई सुन्नर यादव की कुछ वर्ष पहले ही दंगाईयों ने हत्या कर दी थी।
साभार- पांचजन्य
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