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गुरुवार, 11 अगस्त 2016

इनके नाम से ही कांपते थे अंग्रेज, झाँसी की रानी से भी 77 साल पहले अंग्रेजो को युद्ध में चटाई थी धूल

रानी वेलु नाचियर के सम्मान में भारत सरकार द्वार जारी किया गया डाक टिकट
झाँसी की रानी लक्ष्मीबाई के जन्म से भी बहुत पहले रानी वेलु नाचियर,नाम की इस वीरांगना ने अपने राज्य को अंग्रेजो के शासन के मुक्त कराने हेतु जंग लड़ी थी और अंग्रेजों को खदेड़ने में सफलता भी प्राप्त की थी लेकिन भारत के इतिहास ने इस रानी को गुमनामी के अँधेरे में धकेल दिया,आज हम आपको बतायेंगे इस महान वीरांगना के बारे में.. 

बचपन से ही अस्त्र शस्त्र में पारंगत थी
(वेलु नाचियर) Velu Nachiyar रामनाथपुरम राज्य के राजा चेल्लामुथु सेथुप्ति (Chellamuthu Sethupathy) और रानी सकंदिमुथा (Sakandhimutha) की एकलौती बेटी थीं. कुल में कोई भी बेटा ना होने की वज़ह से Velu Nachiyar का पालन पोषण बिलकुल राजकुमारों की तरह किया गया. उन्होंने बचपन से ही घुड़सवारी, तीरंदाज़ी, तलवारबाज़ी और मार्शल आर्ट्स की विधिवत शिक्षा ली और कुछ ही सालों में इन विधाओं में राजकुमारी पारंगत हो गयीं।

बहुत सी भाषायों का भी था ज्ञान
अस्त्र – शस्त्र के साथ ही वेलु नाचियर ने भाषाओं की भी शिक्षा ली और फ्रेंच, इंग्लिश और उर्दू में वो कुशल हो गयीं। उनका विवाह शिवगंगा के राजा मुठथूवादुगानाथापेरिया उदयथेवर (Muthuvaduganathaperiya Udaiyathevar) और उनको एक पुत्री की प्राप्ति हुई.

अंग्रेजो ने करवा दी थी महाराज की हत्या
अंग्रेज सैनिको ने अरकोट के नवाब पुत्र के साथ मिलकर उनके पति की हत्या कर दी और वेलु नाचियर को अपनी मासूम बेटी के साथ 8 वर्षों तक दिनिदिगुल के पास विरुपची में हैदर अली के आश्रय में छुपना पड़ा. इन वर्षों में वेलु नाचियर ने अपनी खुद की सेना गठित की और गोपाला नायकर एवं हैदर अली के साथ मिलकर अंग्रेजों के खिलाफ मोर्चा खोल दिया।

सन 1780 में इस वीरांगना ने ना सिर्फ़ अंग्रेज सेना से लोहा लिया बल्कि उनको ज़बरदस्त शिक़स्त भी दी. वेलु नाचियर ने अपनी दत्तक पुत्री के नाम पर एक महिला सेना का भी निर्माण किया जिसका नाम ‘उदईयाल (udaiyaal)’ रखा गया. वेलु नाचियर उन बहुत ही कम शासकों में एक थी जिन्होंने ना तो सिर्फ अपने राज्य को दोबारा पाया बल्कि 10 वर्षों तक शासन भी किया।

वेलु नाचियर पहली महिला थीं जिन्होंने अंग्रेजों के खिलाफ स्वतंत्रता की लड़ाई लड़ी. वो देश की पहली क्रांतिकारी थीं, 1857 कि सेना के बगावत जिसे देश की पहली क्रांति माना जाता है, उससे बहुत पहले ही उन्होंने अंग्रेजों को मात दी थी . लेकिन इतिहास में वो गुमनाम रह गयी...
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