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बुधवार, 31 अगस्त 2016

इस मशहूर नृत्यांगना के नाम सरकार जारी कर चुकी डाक टिकट, आज दो जून की रोटी को मोहताज !

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भरतनाट्यम व कथक की जिस नृत्यांगना के नाम पर सरकार 1962 में डाक टिकट जारी कर चुकी है, वह तारा गोपाल आज तंगहाली में जी रहीं हैं।


1960 में संसद में पेश किया था प्रोग्राम

तारा बालगोपाल देश की मशहूर नृत्यांगना रह चुकी हैं। उन्होंने 1960 में संसद में उन्होंने डांस पेश कर समां बांध दी थी। इसके बाद 1962 में तारा के सम्मान में भारत सरकार ने डाक टिकट जारी किया। तारा का नृत्य शौक था। वे दिल्ली यूनिवर्सिटी के राजधानी कॉलेज में अंग्रेजी की रीडर रहीं।

कॉलेज ने नहीं किया भुगतान

तारा बालगोपाल ने दिल्ली यूनिवर्सिटी के जिस राजधानी कॉलेज में अध्यापन किया, जब वे रिटायर हुईं तो एक पैसे का भुगतना नहीं हुआ। न ही कॉलेज की ओर से पेंशन पास की गई।

तारा बालगोपाल की कोई संतान नहीं हैं जिससे बुढ़ापे में जीविका के लिए पैसे का कोई साधन न होने से तंगहाली बढ़ती गई। 2010 तक पति साथ रहे तो किसी तरह से जिंदगी चलती रही। मगर पति की मौत के बाद वह तनहा हो गईं। जिससे अब दो जून की रोटी भी किसी तरह नसीब हो रही है।

फेसबुक पर नृत्यांगना तारा बाल गोपाल के लिए #Help Tara Balgopal to Dance Again के नाम से ग्रुप बनाया गया। इसमें लगभग 8 लाख रुपए जमा हुए, जिसके जरिए तारा बाल गोपाल के घर का रेनोवेशन कराया गया और उनके लिए खाने- पीने के लिए इंतज़ाम किया गया। इसके साथ ही उनकी देखभाल के लिए बीना नाम की लड़की को भी रखा गया है।

नृत्यांगना तारा बाल गोपाल अंत में कहती हैं,"मैं भिखारी नहीं हूं बल्कि अपने हक की लड़ाई लड़ रही हूं।"
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