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शुक्रवार, 1 जुलाई 2016

33 साल बाद पूरा हुआ भारत का सपना, बनाया पहला पूर्ण स्वदेशी विमान....



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33 साल बाद भारत उन देशों के कतार में खड़ा हो गया है जिनके पास स्वेदशी लड़ाकू विमान है. शुक्रवार को भारतीय वायुसेना में दो तेजस विमानों को शामिल किया गया है. कर्नाकट की राजधानी बेंगलुरू में लाइट काम्बेट एअरक्राफ्ट (हल्के लड़ाकू विमान) यानि तेजस को शामिल किया गया. इन दो विमानों के बेड़े का नाम 'फ्लाइंग डैगर्स 45' है.

अगले साल मार्च तक बेड़े में छह और विमानों को शामिल करने की योजना है. अगले दो साल तक यह बेड़ा बेंगलुरु में ही रहेगा, इसके बाद यह तमिलनाडु के सलूर में चला जाएगा.


मिग-21 की जगह लेगा तेजस

भारत में 1991 और 2000 के बीच 221 विमान दुर्घटनाग्रस्त हुए जिनमें से करीब सौ मिग-21 श्रृंखला के विमान थे. सिर्फ 1999 में ही 28 लड़ाकू जहाज दुर्घटनाग्रस्त हुए जिनमें से 13 मिग-21 विमान थे. 'मिग-21' को उड़ता ताबूत नाम दिया गया था.

इसी वजह से 32 साल पहले भारत में हल्के लड़ाकू विमान बनाने के मुश्किल और महत्वाकांक्षी सफर की शुरुआत हुई थी. तेजस का निर्माण हिन्दुस्तान एरोनॉटिकल लिमिटेड (एचएएल) ने किया है. वायुसेना ने एचएएल से 200 तेजस विमानों का निर्माण करने के लिए कहा है.

तेजस की युद्धक क्षमता
तेजस क्षमता के मामले में कई मायनों में फ्रांस में निर्मित मिराज 2000 के जैसा है. यह 2300 किलोमीटर की लंबी दूरी तक उड़ान भर सकता है. इसकी ईंधन क्षमता 2500 किलोग्राम है. 5680 किलोग्राम वजनी यह सिंगल इंजन का विमान है जिसे चौथी- पांचवी पीढ़ी का विमान कहा जा सकता है.

तेजस इजराइल में बने मल्‍टीरोल रडार एल्‍टा 2032, हवा से हवा में मार करने वाली डर्बी मिसाइलें और जमीन पर स्थित निशाने के लिए आधुनिक लेजर डेजिग्‍नेटर और टारगेटिंग पॉड्स से लैस है.

तेजस में कार्बन फाइबर का प्रयोग हुआ है. इसकी वजह से तेजस न केवल वजन में हल्‍का है बल्कि ज्यादातर रडार भी उसे पकड़ नहीं पाते. ये विमान 1350 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से आसमान का सीना चीर सकते हैं.

टेस्ट फ्लाइट के दौरान दुर्घटना रहित, किसी भी पायलट को कभी कोई नुकसान नहीं उठाना पड़ा है. अब तक इसकी 3000 से ज्‍यादा उड़ानें सफलतापूर्वक पूरी की जा चुकी हैं.

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