
जलवायु परिवर्तन से दूध के उत्पादन में कमी के आसन्न खतरे से गायों की देसी नस्लें ही बचा सकती हैं। करनाल के राष्ट्रीय डेयरी अनुसंधान संस्थान (एनडीआरआई) में अब तक हुए कई शोध और पिछले पांच वर्षों से एनआईसीआरए (नेशनल इनोवेशन्स इन क्लाइमेट रेसीलिएंट एग्रीकल्चर) प्रोजेक्ट के तहत चल रहे शोध का निष्कर्ष यही है। शोध से इस बात की पुष्टि हुई है कि विदेशी और संकर नस्ल के दुधारू पशुओं के मुकाबले देसी गायों में ज्यादा तापमान सहने की क्षमता है और जलवायु परिवर्तन से वह कम प्रभावित होती हैं।
देसी गायों की खाल गर्मी सोखने में सहायक है।उनमें कुछ ऐसे जीन भी मिले हैं, जो गर्मी सहने की क्षमता बढ़ाते हैं। एनडीआरआई के वैज्ञानिकों के मुताबिक गर्मी और सर्दी में अधिकतम और न्यूनतम तापमान में थोड़े से अंतर का प्रभाव पशुओं की दूध देने की क्षमता पर पड़ता है। अध्ययन से पता चला है कि गर्मी में 40 डिग्री से ज्यादा और जाड़े में 20 डिग्री से कम तापमान होने पर दूध के उत्पादन में 30 फीसदी तक की गिरावट आ जाती है।
ज्यादा तापमान से संकर नस्ल की गाय के दूध में 15-20 प्रतिशत तक की कमी आ सकती है, लेकिन देसी नस्ल की गायों पर इसका असर नहीं पड़ता। तापमान में यह वृद्धि अगर लंबे समय तक चलती रहती है तो दूध देने की क्षमता के साथ ही पशुओं की प्रजनन क्षमता पर भी विपरीत असर पड़ता है।
बरेली में पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्थान (आईवीआरआई) के प्रधान वैज्ञानिक डॉ. ज्ञानेंद्र गौड़ बताते हैं कि तापमान बढ़ने पर संकर नस्ल के पशु सबसे ज्यादा बीमार पड़ते हैं। ऐसे पशु चारा खाना कम कर देते हैं और कमजोर होते रहने की वजह से उनका दूध कम हो जाता है। इसके उलट देसी नस्ल के पशु जल्दी बीमार नहीं पड़ते हैं। देश में गायों की 39 और भैंस की 13 प्रजातियां हैं। देसी नस्ल की गिर गाय ने कुछ वर्षों पहले ब्राजील में 62 लीटर दूध देकर रिकॉर्ड बनाया था।
नेशनल डेयरी डेवलपमेंट बोर्ड (एनडीडीबी) का मानना है कि ग्लोबल वार्मिंग का असर देश में दूध के उत्पादन को बुरी तरह प्रभावित कर सकता है। वैज्ञानिकों ने जलवायु परिवर्तन से 2020 तक दूध उत्पादन में 30 लाख टन से ज्यादा की सालाना गिरावट की चेतावनी दी है। 2015-16 में कुल उत्पादन 16 करोड़ टन रहा है। आईवीआरआई में फिलहाल 250 दुधारू पशु हैं। इनसे करीब 2700 लीटर दूध मिलता है, लेकिन पारा चढ़ने की वजह से इन दिनों सिर्फ 2200 लीटर दूध ही मिल पाता है। जून तक इसमें दो सौ लीटर की कमी और हो सकती है।
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