Breaking

शुक्रवार, 13 मई 2016

1965 के युद्ध के दौरान इस मंदिर में हुआ कुछ ऐसा जिसे देखकर चौंक गये पाकी सैनिक..





सितम्बर 1965 में भारत और पाकिस्तान के बीच युद्ध शुरू हुआ। तनोट पर आक्रमण से पहले शत्रु (पाक)
 पूर्व में किशनगढ़ से 74 किमी दूर बुइली तक पश्चिम में साधेवाला से शाहगढ़ और उत्तर में अछरी टीबा
से 6 किमी दूर तक कब्जा कर चुका था। तनोट तीन दिशाओं से घिरा हुआ था। यदि शत्रु तनोट पर कब्जा
कर लेता तो वह रामगढ़ से लेकर शाहगढ़ तक के इलाके पर अपना दावा कर सकता था। अत: तनोट पर
अधिकार जमाना दोनों सेनाओं के लिए महत्वपूर्ण बन गया था।

17 से 19 नवंबर 1965 को शत्रु ने तीन अलग-अलग दिशाओं से तनोट पर भारी आक्रमण किया। दुश्मन
के तोपखाने जबर्दस्त आग उगलते रहे। तनोट की रक्षा के लिए मेजर जय सिंह की कमांड में 13 ग्रेनेडियर
की एक कंपनी और सीमा सुरक्षा बल की दो कंपनियाँ दुश्मन की पूरी ब्रिगेड का सामना कर रही थी। शत्रु ने
 जैसलमेर से तनोट जाने वाले मार्ग को घंटाली देवी के मंदिर के समीप एंटी पर्सनल और एंटी टैंक माइन्स
लगाकर सप्लाई चैन को काट दिया था।

पाकिस्तानी सेना ने आस पास के इलाके में करीब 3000 गोले दागे,अकेले  मन्दिर को निशाना बनाकर करीब 450 गोले दागे गये लेकिन पाकिस्तानी सैनिक तब  चौंक गये जब उन्होंने देखा की कोई भी गोला निशाने पर नहीं लगा और जो गोला मंदिर के अन्दर गिरा भी वो फट नहीं पाया...ये देखकर पाकिस्तानी सैनिक घबरा गये ...

इस मंदिर में एक  संग्रहालय भी है जहाँ पाकिस्तान सेना द्वारा मंदिर परिसर में गिराए गोलों को सहेज कर रखा गया हैं..ये मंदिर पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र बनता जा रहा हैं...1965 के बाद से सीमा सुरक्षा बल के जवानों द्वारा ही यहाँ पूजा व्यवस्था देखी जा रही हैं...










कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें